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Surya Namaskar In Hindi | सूर्य नमस्कार : सम्पूर्ण माहिती

Surya Namaskar In Hindi

प्रस्तावना Surya Namaskar In Hindi

सूर्य नमस्कार ( Surya Namaskar In Hindi ) योग में एक अभ्यास है जिसमें व्यायाम के रूप में कुछ बारह सुंदर रूप से जुड़े हुए आसनों के क्रम को शामिल किया जाता है।

सूर्य नमस्कार को पहली बार 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में योग के रूप में दर्ज किया गया था, हालांकि इससे पहले भारत में इसी तरह के अभ्यास का उपयोग किया जाता था, उदाहरण के लिए पहलवानों के बीच।

मूल क्रम में खड़े होने की स्थिति से नीचे की ओर और ऊपर की ओर डॉग पोज़ में जाना और फिर वापस खड़ी स्थिति में आना शामिल है, लेकिन कई बदलाव संभव हैं।

12 आसनों का सेट हिंदू सौर देवता सूर्य को समर्पित है। कुछ भारतीय परंपराओं में सभी आसनों को एक अलग मंत्र से जोड़ा जाता है।

      सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar In Hindi)  के द्वारा त्वचा रोग समाप्त हो जाते हैं अथवा इनके होने की संभावना समाप्त हो जाती है। इस अभ्यास से कब्ज आदि उदर रोग समाप्त हो जाते हैं और पाचन तंत्र की क्रियाशीलता में वृद्धि हो जाती है।
इस अभ्यास के द्वारा हमारे शरीर की छोटी-बड़ी सभी नस-नाडि़यां क्रियाशील हो जाती हैं, इसलिए आलस्य, अतिनिद्रा आदि विकार दूर हो जाते हैं। सूर्य नमस्कार की तीसरी व पांचवीं स्थितियां सर्वाइकल एवं स्लिप डिस्क वाले रोगियों के लिए वर्जित हैं।
यह भी पढ़ें

सूर्य नमस्कार के 12 आसन | 12 Steps of Surya Namaskar in Hindi:

  • प्रणाम आसन | Prayer pose
  • हस्तउत्तानासन |Raised Arms pose
  • हस्तपाद आसन |Hand to Foot pose
  • अश्व संचालन आसन | Equestrian pose
  • दंडासन |Dandasana (Stick pose)
  • अष्टांग नमस्कार | Ashtanga Namaskara (Salute With Eight Parts Or Points)
  • भुजंग आसन |Bhujangasana (Cobra pose)
  • पर्वत आसन | Parvatasana (Mountain pose)
  • अश्वसंचालन आसन | Ashwa Sanchalanasana (Equestrian pose)
  • हस्तपाद आसन | Hasta Padasana (Hand to Foot pose)
  • हस्तउत्थान आसन | Hastauttanasana (Raised Arms pose)
  • ताड़ासन | Tadasana

1 प्रणाम आसन – Prayer pose Surya Namaskar In Hindi

अपने आसन (मैट) के किनारे पर खड़े हो जाएँ, अपने दोनों पंजे एक साथ जोड़ कर रखें और पूरा वजन दोनों पैरों पर समान रूप से डालें। नेत्र बंद करें।अपनी छाती फुलाएँ और कंधे ढीले रखें।
श्वास लेते हुए दोनों हाथ बगल से ऊपर उठाएँ और श्वास छोड़ते हुए हथेलियों को जोड़ते हुए छाती के सामने प्रणाम मुद्रा में ले आएँ।

 ध्यान ‘आज्ञा चक्र’ पर केंद्रित  करें।

Prayer pose Surya Namaskar In Hindi

2 हस्तउत्तानासन – Raised Arm Pose Surya Namaskar In Hindi

श्वास लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएँ और पीछे ले जाएँ व बाजुओं की द्विशिर  (बाइसेप्स) पेशियों को कानों के समीप रखें। इस आसन में पूरे शरीर को एड़ियों से लेकर हाथों की उंगलियों तक सभी अंगों को ऊपर की तरफ खींचने का प्रयास करें।
इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?
अपने कूल्हे को आगे की तरफ धकेल कर यह सुनिश्चित करें कि आप अपनी उंगलियों के साथ ऊपर की ओर जा रहे हैं ना कि पीछे की तरफ मुड़ रहे हैं।
ध्यान को गर्दन के पीछे ‘विशुद्धि चक्र’ पर केन्द्रित करें।
Raised Arm Pose Surya Namaskar In Hindi

3 हस्तपाद आसन – Hand to Foot Pose Surya Namaskar In Hindi

श्वास छोड़ते हुए व रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए कमर से आगे झुकें। पूरी तरह श्वास छोड़ते हुए दोनों हाथों को पंजो के समीप ज़मीन पर रखें।
माथा घुटनों का स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे ‘मणिपूरक चक्र’ पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें।
कमर एवं रीढ़ के दोष वाले साधक न करें।
इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?
हथेलियों को ज़मीन तक लाने में अगर ज़रूरत हो तो घुटने मोड़ सकते हैं, और अब घुटनों को सीधा करने का एक सौम्य प्रयास करें। जब तक सूर्य नमस्कार का यह क्रम पूरा ना हो जाए तब तक अपने हाथों की इस स्थिति को इसी स्थान पर स्थिर रखें।

4 अश्व संचालन आसन Equestrian Pose Surya Namaskar In Hindi

इसी स्थिति में श्वांस को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय रुकें। ध्यान को ‘स्वाधिष्ठान’ अथवा ‘विशुद्घि चक्र’ पर ले जाएं। मुखाकृति सामान्य रखें।

Equestrian Pose Surya Namaskar In Hindi

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ? सुनिश्चित करें कि बायां पैर दोनों हथेलिओं के बीच में रहे

5 दंडासन – Stick Pose Surya Namaskar In Hindi

श्वास लेते हुए बाएँ पैर को पीछे ले जाएँ और संपूर्ण शरीर को सीधी रेखा में रखें।
ध्यान ‘सहस्रार चक्र’ पर केन्द्रित करने का अभ्यास करें।

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ? अपने हाथ ज़मीन के लंबवत रखें।

6 अष्टांग नमस्कार – 

आराम से दोनों घुटने ज़मीन पर लाएँ और श्वास छोडें। अपने कूल्हों को पीछे उपर की ओर उठाएँ I पूरे शरीर को आगे की ओर खिसकाएँI अपनी छाती और ठुड्डी को ज़मीन से छुएँ।
श्वांस छोड़ दें। ध्यान को ‘अनाहत चक्र’ पर टिका दें। श्वास की गति सामान्य करें।

अपने कुल्हों को थोड़ा उठा कर ही रखेंI अब दो हाथ, दो पैर, दो घुटने, छाती और ठुड्डी (शरीर के आठ अंग) ज़मीन को छूते हुए होंगे।

7 भुजंग आसन – Cobra Pose

आगे की ओर सरकते हुए, भुजंगासन में छाती को उठाएँI कुहनियाँ  (Elbow) मुड़ी रह सकती हैं। कंधे कानों से दूर और दृष्टि ऊपर की ओर रखें।
मूलाधार को खींचकर वहीं ध्यान को टिका दें।

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?

श्वास लेते हुए छाती को आगे की तरफ धकेलने का सौम्य प्रयास करें। श्वास छोड़ते हुए नाभि को सहजता से नीचे की ओर दबाएँI पैरों की उंगलियों को भी नीचे की तरफ दबाएँ। यह सुनिश्चित करें कि जितना कर सकते हैं उतना ही करें, अपने साथ ज़बरदस्ती ना करें।

8 पर्वत आसन – Mountain Pose

श्वास छोड़ते हुए कूल्हों और रीढ़ की हड्डी के निचले भाग को ऊपर उठाएँ, छाती को नीचे झुकाकर एक उल्टे वी (˄) के आकार में आ जाएँ।

ध्यान ‘सहस्रार चक्र’ पर केन्द्रित करने का अभ्यास करें।

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ? यदि संभव हो तो एड़ियों को ज़मीन पर ही रखें और रीढ़ के निचले भाग को ऊपर उठाने का प्रयास करें। खिंचाव को गहराई से अनुभव करें।

9 अश्वसंचालन आसन

श्वास लेते हुए दाहिना पैर दोनों हाथों के बीच ले जाएँ, बाएँ घुटने को ज़मीन पर रख सकते हैं। दृष्टि ऊपर की ओर रखेंI

ध्यान को ‘स्वाधिष्ठान’ अथवा ‘विशुद्घि चक्र’ पर ले जाएं। मुखाकृति सामान्य रखें।

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?
दाहिने पंजे को दोनो हाथों के बीच में रखें और दाहिनी पिंडली को ज़मीन के लंबवत रखेंI कूल्हों को नीचे की तरफ ले जाने का प्रयास करें ताकि खिंचाव को गहराता हुआ अनुभव किया जा सके।

10 हस्तपाद आसन

श्वास छोड़ते हुए बाएँ पैर को आगे लाएँ, हथेलियों को ज़मीन पर ही रहने दें। अगर ज़रूरत हो तो घुटने मोड़ सकते हैं।
माथा घुटनों का स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे ‘मणिपूरक चक्र’ पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें। कमर एवं रीढ़ के दोष वाले साधक न करें।

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ? धीरे से घुटनों को सीधा करें और अगर संभव हो तो अपनी नाक से घुटनों को छूने का प्रयास करें, और श्वास लेते रहें।

11 हस्तउत्थान आसन

श्वास लेते हुए रीढ़ की हड्डी को धीरे धीरे ऊपर लाएँ, हाथों को ऊपर और पीछे की ओर ले जाएँ, कुल्हों को आगे की तरफ धकेलें।
ध्यान को गर्दन के पीछे ‘विशुद्धि चक्र’ पर केन्द्रित करें।

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?
सुनिश्चित करें कि कान बाजू से सटे हों और खिंचाव ऊपर की ओर हो, न कि पीछे की ओर।

 

12 ताड़ासन

श्वास छोड़ते हुए पहले शरीर सीधा करें फिर हाथों को नीचे लाएँI इस अवस्था में विश्राम करें और शरीर में हो रही संवेदनाओं के प्रति सजगता ले आएँ।
इसके अभ्यासी के हाथों-पैरों के दर्द दूर होकर उनमें सबलता आ जाती है। गर्दन, फेफड़े तथा पसलियों की मांसपेशियां सशक्त हो जाती हैं, शरीर की फालतू चर्बी कम होकर शरीर हल्का-फुल्का हो जाता है।
Image Credit – Josef Renger
Image Source- Wikipedia
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