मोतियाबिंद क्या है ?: कारण , लक्षण एवं रोकथाम – Cataract in Hindi
मोतियाबिन्द क्या है ? What is Cataract in Hindi
मोतियाबिंद(Eye Cataract in Hindi ) में आंखों के लेंस में धुंधलापन होता है जिससे देखने की क्षमता में कमी आ जाती है। मोतियाबिन्द तब होता है जब आंखों में प्रोटीन के कुछ गुच्छे जमा हो जाते हैं जो लेंस को रेटिना को स्पष्ट चित्र भेजने से रोकते हैं। रेटिना, लेंस के माध्यम से संकेतों में आने वाली रोशनी को परिवर्तित करता है। यह संकेत ऑप्टिक तंत्रिका को भेजता है, जो उन्हें मस्तिष्क में ले जाता है।
मोतियाबिंद अक्सर धीरे धीरे विकसित होता है और एक या दोनों आँखें को प्रभावित कर सकता है। इसमें फीके रंग दिखना, धुंधला दिखना, प्रकाश के चारों ओर रौशनी का दिखना, चमकदार रोशनी देखने में परेशानी और रात को देखने में परेशानी हो सकते हैं।
मोतियाबिंद और भारत
जनसंख्या के आधारित एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में 60 वर्ष और उससे अधिक लोगों में से करीब 74% लोगों को मोतियाबिंद है या उनकी मोतियाबिंद सर्जरी हो चुकी है। इनमें महिलाओं की संख्या अधिक है और न्यूक्लिअर मोतियाबिंद इसका सबसे सामान्य प्रकार है। भारत स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत को मोतियाबिंद से मुक्त करने के लिए पांच साल का कार्यक्रम तैयार करने की योजना बना रहा है। इसकी योजना 7.86 करोड़ लोगों कोआवरित करना है
अगले दो वर्षों में 2.37 करोड़ और उसके अगले तीन वर्षों में 5.49 करोड़ का लक्ष रखा गया है । प्रस्तावित योजना में भारत में निर्मित लेंस की लागत सहित प्रत्येक ऑपरेशन के लिए 2,000 रुपये की सहायता की परिकल्पना की गई है।
मोतियाबिंद के प्रकार – Types of Cataract in Hindi
आयु से सम्बंधित मोतियाबिंद के मुख्य तीन प्रकार हैं –
न्यूक्लिअर स्क्लेरोटिक मोतियाबिंद – Nuclear Sclerotic Cataract in Hindi
यह उम्र-संबंधित मोतियाबिंद का सबसे आम प्रकार है। मुख्यतः कारण लेंस के सख्त और पीले होने से होता है। जैसे-जैसे इस प्रकार का मोतियाबिंद बढ़ता है, यह आंखों की केंद्रित करने की क्षमता में परिवर्तन लाता है और नज़दीक की दृष्टि (पढ़ने या अन्य प्रकार के करीबी काम के लिए) अस्थायी रूप से सुधार ला सकता है लेकिन यह स्थायी नहीं होता। न्यूक्लिअर स्क्लेरोक्टिक मोतियाबिंद धीरे-धीरे कई वर्षों तक बढ़ता रहता है इससे पहले कि वह दृष्टि को प्रभावित करना शुरू कर दे।
कॉर्टिकल मोतियाबिंद – Cortical Cataract in Hindi
इस प्रकार के मोतियाबिंद में लेंस के बाहरी हिस्से में सफ़ेद सा दिखने वाला एक थक्का हो जाता है और धीरे-धीरे केंद्र की ओर बढ़ता जाता है। इस प्रकार का मोतियाबिंद लेंस के आवरण में होता है, जो कि केंद्रीय लेंस के चारों ओर लेंस का एक हिस्सा होता है। कॉर्टिकल मोतियाबिंद लेंस के पीछे की ओर या पीछे की सतह पर एक छोटा अपारदर्शी या धुंधले हिस्से के रूप में शुरू होता है।
सबकैप्सूलर मोतियाबिंद – Subcapsular Cataract in Hindi
इस प्रकार का मोतियाबिंद पढ़ने में परेशानी और रोशनी के चारों ओर “प्रभामंडल” दीखना और चमक पैदा कर सकता है। जो लोग स्टेरॉयड का इस्तेमाल करते हैं, या मधुमेह से पीड़ित हैं, उन्हें इस प्रकार का मोतियाबिंद होने की संभावना ज्यादा है। सबकैप्सूलर मोतियाबिंद तेजी से विकसित हो सकता है और कई बार लक्षण महीनों के भीतर दिख सकते हैं।
मोतियाबिंद के लक्षण – Cataract Symptoms in Hindi
मोतियाबिंद के आम लक्षण हैं –
धुंधली दृष्टि
किसी भी दूरी पर धुंधली दृष्टि का होना मोतियाबिंद का सबसे आम लक्षणो मे से एक है। समय के साथ, मोतियाबिंद और बिगड़ जाता है और बहोत कम प्रकाश रेटिना तक पहुंचता है। मोतियाबिंद वाले लोगों को रात में देखने और गाड़ी चलाने में विशेष रूप से कठिनाई कर सकता है।
प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
मोतियाबिंद का एक और प्रारंभिक लक्षण है प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता। आपको सूर्य के प्रकाश को देखने में परेशानी हो सकती है। घर के अंदर की लाइट्स पहले से ज़्यादा चमकीली दिख सकती हैं या उनके आसपास प्रभामंडल (रोशनी के आसपास चमक दिखाई देना) दिख सकता है। स्ट्रीट लाइट और आने वाले वाहनों की हेडलाइट्स के कारण रात में ड्राइविंग में समस्याएं हो सकती हैं।
दोहरी दृष्टि – Diplopia in Hindi
कभी-कभी एक आंख से देखने में मोतियाबिंद के कारण आपको चीज़ें दोहरी दिखाई दे सकती हैं (जिसे डिप्लोपिया भी कहा जाता है)।
रंग देखने में परिवर्तन
मोतियाबिंद आपके रंग देखने की दृष्टि को प्रभावित कर सकता है जिससे कुछ रंग फीके दिखने लगते हैं। आपकी दृष्टि धीरे-धीरे भूरी या पीली हो सकती है। शायद शुरुआत में आपको यह लक्षण प्रभावित न करें लेकिन समय के साथ, आपके लिए नीले और बैंगनी रंगों में फरक करना कठिन हो सकता है।
नज़दीकी दृष्टि का सुधार
कभी-कभी, मोतियाबिंद एक व्यक्ति की पास में देखने की क्षमता में अस्थायी तौर पर सुधार कर सकता है लेकिन जैसे-जैसे मोतियाबिंद बढ़ता है, यह लक्षण दूर हो जाता है और दृष्टि फिर से ख़राब हो जाती है।
आँखों के नंबर का बारंबार बदलाव
आपके चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के नंबर में लगातार परिवर्तन मोतियाबिंद का संकेत हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मोतियाबिंद आमतौर पर प्रगतिशील होता है, जिसका अर्थ है कि वह समय के साथ खराब होता।
मोतियाबिंद के कारण – Causes of Cataract in Hindi
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, कुछ प्रोटीन आँखों में गुच्छे बनाते हैं और लेंस के एक छोटे से क्षेत्र में धुंधलापन करते हैं जो समय के साथ बढ़ता जाता है। इस बात की सिद्धि तो नहीं हो पायी है की ऐसा क्यों होता है लेकिन दुनियाभर में शोधकर्ताओं ने मोतियाबिंद होने या मोतियाबिंद के विकास से जुड़े कुछ कारणों की पहचान की है।
यह कारण हैं –
मधुमेह –
मधुमेह से ग्रस्त लोगों को मोतियाबिंद होने का खतरा ज़्यादा होता है।
दवाएं – कुछ दवाएं मोतियाबिंद के जोखिम को बढाती हैं जैसे कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स, क्लोरप्रोमाज़ीन और अन्य फेनोथीआज़ाइन संबंधित दवाएं।
पराबैंगनी विकिरण (Ultraviolet radiation) –
असुरक्षित रूप से पराबैंगनी विकिरण के संपर्क में आने से मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है।
भारत मे ज़्यादातर मोतिया होने का कारण पराबैंगनी विकिरण को ही बताया जाता है जो
हमारे वातावरण मे ओज़ोन के स्तर मे गिरावट के कारण यह समस्या उतपन हुई है ।
धूम्रपान –
धूम्रपान और लेंस के धुंधलेपन के बीच भी सम्बन्ध होता है।
शराब-
कई अध्ययनों में साबित हुआ है की शराब पीने वाले लोगों को मोतियाबिंद की समस्याएं ज़्यादा होती हैं।
पोषण संबंधी कमी –
अध्ययनों से मोतियाबिंद गठन और एंटीऑक्सिडेंट के निम्न स्तर (जैसे विटामिन सी, विटामिन ई और कैरोटिनॉइड) के बीच सम्बन्ध पाया गया है।
ऐसा बहुत कम होता है कि मोतियाबिंद जन्म से शिशु में मौजूद हो या जन्म के कुछ समय बाद ही उत्पन्न हो जाए। हालाँकि यह गर्भावस्था के दौरान मां में मौजूद संक्रमण (जैसे रूबेला) के कारण शिशु में हो सकता है। मोतियाबिंद किसी आंख की चोट या समस्या (जैसे ग्लूकोमा) की सर्जरी के बाद भी उत्पन्न हो सकता है।
मोतियाबिंद से बचाव – Prevention of Cataract in Hindi
मोतियाबिंद को रोकने का कोई सिद्ध तरीका नहीं है। लेकिन कुछ जीवन शैली की आदतों से मोतियाबिंद विकास धीमा जरूर हो सकता है।
नियमित तौर पर अपनी आँखों की जाँच कराएं
अगर आपकी दृष्टि ठीक भी है फिर भी अपने आंख के चिकित्सक के पास जाने का नियम बनाएं नियमित रूप से आँखों की जाँच कराने से आपके डॉक्टर अपनी आँखों में होने वाली परेशानियों का जल्दी निदान कर पाएंगे।
खास कर के जब आपकी उम्र 40 साल की हो जाती है।
सिगरेट व शराब का सेवन कम करें
शोधकर्ताओं के अनुसार सिगरेट व शराब का सेवन ज़्यादा करने वाले लोगों में मोतियाबिंद होने का खतरा अधिक होता है।
अच्छा खाएं
अध्ययन बताते हैं कि मधुमेह के रोगियों को मोतियाबिंद होने का अधिक जोखिम होता है। यही कारण है कि स्वस्थ रक्त शर्करा को बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। लेकिन हम सभी के लिए एक स्वस्थ आहार प्राथमिकता होनी चाहिए। हमें अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, एंटीऑक्सीडेंट्स युक्त खाद्य पदार्थ, विटामिन सी और विटामिन ई की भरपूर मात्रा लेनी चाहिए।
सूर्य की रौशनी से अपनी आँखों को ढकें
पराबैंगनी विकिरण (UV Radiation) से मोतियाबिंद होने का जोखिम बढ़ जाता इसीलिए अपने जोखिम को कम करने के लिए किसी भी मौसम में यूवीए/यूवीबी से बचने वाला धूप का चश्मा और टोपी पहनें।
मोतियाबिंद का परीक्षण – Diagnosis of Cataract in Hindi
मोतियाबिंद की जांच के लिए आपके डॉक्टर आपकी आंखों की जाँच करेंगे। इसमें आपकी आँख के दबाव को मापने के लिए अलग-अलग दूरी पर आंख चार्ट परीक्षण और आँखों में दबाव को मापने के लिए टोनोमेट्री टेस्ट होंगे।
सबसे सामान्य टोनोमेट्री परीक्षण में आपके कॉर्निया को फ़ैलाने और आपकी आंखों के दबाव का परीक्षण करने के लिए हवा की एक दर्द रहित फूंक का उपयोग किया जाता है। आपके चिकित्सक आपकी आंखों में कुछ रसायन युक्त बूंदों को डालेंगे ताकि आपकी पुतली बड़ी हो जाये जिससे आपकी आँख के पीछे ऑप्टिक तंत्रिका और रेटिना के नुकसान को जांचना आसान हो जाए।
आपके चिकित्सक अन्य परीक्षण भी कर सकते हैं जैसे आपकी तीव्र रौशनी के प्रति संवेदनशीलता की जाँच और रंगों को देख पाने की जाँच।
एक स्लिट लैंप आपके आंख के चिकित्सक को आपकी आंख के सामने की संरचनाओं को बड़ा कर-कर देखने में मदद करता है। इस माइक्रोस्कोप को स्लिट लैंप कहा जाता है क्यूंकि यह आईरिस और कॉर्निया के बीच की जगह, कॉर्निया, आईरिस और लेंस तक एक पतली रौशनी की लकीर से प्रकाश पहुंचता है। यह छोटे वर्गों में इन संरचनाओं को देखना आसान बना देता है जिससे किसी भी छोटी असामान्यता का पता लगाया जा सकता है।
मोतियाबिंद का इलाज – Cataract Treatment in Hindi
मोतियाबिंद उपचार आपकी दृष्टि के स्तर पर आधारित है। अगर मोतियाबिंद दृष्टि को कम प्रभावित करता है या बिल्कुल नहीं करता तो कोई इलाज की आवश्यकता नहीं होती। मरीजों को सलाह दी जाती है कि अपने लक्षणों का ध्यान रखें और नियमित चेक-अप कराएं।
कुछ मामलों में, चश्मा बदलने से दृष्टि में अस्थायी सुधार हो सकता है। इसके अलावा, चश्मा के लेंस पर एंटी-ग्लेयर की परत लगवाने से रात में ड्राइविंग में मदद मिल सकती है और पढ़ने में उपयोग होने वाले प्रकाश की मात्रा में वृद्धि करना भी फायदेमंद हो सकता है।
जब मोतियाबिंद इस स्तर तक आगे बढ़ जाता है कि यह किसी व्यक्ति की रोजमर्रा की सामान्य कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है, तो सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। मोतियाबिंद सर्जरी में आंखों के लेंस को हटाया जाता है और इसे एक अर्टिफिशियल लेंस से बदल दिया जाता है।
मोतियाबिंद सर्जरी के दो दृष्टिकोण आम तौर पर उपयोग किए जाते हैं –
स्माल-इंसीज़न मोतियाबिंद सर्जरी(Small incision cataract Surgery)-
इसमें कॉर्निया (आंख का स्पष्ट बाहरी आवरण) के पास एक चीरा लगाया जाता है और आंखों में एक छोटा सा औज़ार डाला जाता है। यह औज़ार अल्ट्रासाउंड तरंगों का उत्सर्जन करता है जो लेंस नरम करता है जिससे वह टूट जाता है और उसे बाहर निकालकर बदल दिया जाता है।
एक्स्ट्राकैप्सुलर सर्जरी(Extra Capsular Surgery)-
इसमें कॉर्निया में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है ताकि लेंस को एक टुकड़े में निकला जा सके। प्राकृतिक लेंस को एक स्पष्ट प्लास्टिक लेंस से बदल दिया जाता है जिसे इंट्राओक्युलर लेंस (आईओएल) कहा जाता है।
बाकी सर्जरी की तरह मोतियाबिंद की सर्जरी में भी संक्रमण और रक्तस्त्राव का खतरा होता है।
मोतियाबिंद के जोखिम और जटिलताएं – Cataract Risks & Complications in Hindi
मोतियाबिंद होने के जोखिम कारक –
उम्र
कुछ लोग अपने मध्यम आयु वर्ग के वर्षों (40 और 50 के दशक) के दौरान मोतियाबिंद विकसित करते हैं, लेकिन यह बहुत छोटे होते हैं। यह 60 साल की उम्र के बाद दृष्टि को प्रभावित करते हैं। 75 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग आधे लोगों को मोतियाबिंद होता है।
लिंग
मोतियाबिंद होने का जोखिम पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं में ज्यादा होता है।
पारिवारिक इतिहास
अक्सर ऐसा होता है कि मोतियाबिंद का पारिवारिक इतिहास होने पर आपको मोतियाबिंद होने की संभावनाएं ज़्यादा बढ़ जाती हैं।
मधुमेह और अन्य चिकित्सक परिस्थितियां
टाइप 1 या टाइप 2 मधुमेह से ग्रस्त लोगों को मोतियाबिंद होने का जोखिम बहुत ज़्यादा होता है क्यूंकि मोतियाबिंद ज़्यादा रक्त शर्करा से सम्बंधित है।
कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स (जिसे स्टेरॉयड कहा जाता है) के अत्यधिक उपयोग की आवश्यकता वाली चिकित्सक परिस्थितियों में विशेष रूप से मोतियाबिंद का उच्च जोखिम होता है। जैसे – गठिया(आर्थेराइटिस ), सोरायसिस, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, सिस्टमिक ल्यूपस एरीथेमेटोसस,और अन्य बीमारियां।
जिन लोगों को निकट की दृष्टि की समस्याएं हैं उन्हें मोतियाबिंद होने का खतरा ज़्यादा है। आंखों में शारीरिक चोटें या आंख की सूजन भी जोखिम बढ़ा सकती है।
जिन लोगों को मोटापा है, वह लोग भी मोतियाबिंद होने के अधिक जोखिम में हैं।
यूवीबी (UVB) विकिरण का संपर्क मोतियाबिंद के जोखिम को बढ़ा देता है, खासकर न्यूक्लिअर मोतियाबिंद। जोखिम उन लोगों को ज़्यादा है जो कम उम्र में ज़्यादा सूरज की किरणों के संपर्क में रहते हैं।
सिगरेट व शराब
धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों को मोतियाबिंद होने का खतरा अधिक होता है। उन्हें आँखों के न्यूक्लिअर हिस्से में मोतियाबिंद होने का खतरा रहता है जो बाकि तरह के मोतियाबिंद से ज़्यादा दृष्टि की हानि करता है।
ज़्यादा शराब पीने वाले लोगों को कई आँखों के विकार होने का खतरा होता है जिनमें मोतियाबिंद भी आता है।
पर्यावर्णीय कारक
लंबे समय तक पर्यावरण लीड(शीशा ) के संपर्क से मोतियाबिंद होने का जोखिम बढ़ जाता है। सोने और तांबे का संचय भी मोतियाबिंद का कारण बन सकता है। एक्स-रे जैसे विकिरणों के लंबे समय तक संपर्क से भी मोतियाबिंद होता है।
मोतियाबिंद की जटिलताएं
अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो-
ज्यादातर मामलों में समय के साथ मोतियाबिंद खराब हो जाता है, जिससे दृष्टि में लगातार कमी आती जाती है।
बहुत से लोगों में आम तौर पर अंधापन हो जाता है और ज़्यादा लंबे समय तक के लिए अनुपचारित छोड़ दिया जाये तो यह पूरा अंधापन कर सकता है।
बाद में उसे हटाने में और अधिक दिक्कत व समस्याएं हो सकती हैं।
मोतियाबिंद में परहेज़ – What to avoid during Cataract in Hindi
मोतियाबिंद में शक्कर, शहद और अन्य मीठे पदार्थ, सोडा और शक्करयुक्त अन्य पेय, कैंडी, भुने हुए पदार्थ, शक्कर युक्त दलिया, मैदे से बनी अन्य वस्तुएँ (जिनमें सफ़ेद ब्रेड और पास्ता भी आता है), और सफ़ेद चावल न लें।
मोतियाबिंद में क्या खाना चाहिए? – What to eat during Cataract in Hindi?
लेने योग्य आहार –
प्याज, लहसुन, अजमोदा, फलियाँ, शलजम, गाजर, टमाटर, सेब और संतरे आदि एंटीऑक्सीडेंट का भरपूर स्रोत होते हैं और ये उन कुछ आहारों में से हैं जो मोतियाबिंद से बचाव करते हैं।
ग्रीन टी भी एंटीऑक्सीडेंट का उत्तम स्रोत है, इसे ज़रूर पिएं।
बीटा कैरोटीन और विटामिन सी तथा विटामिन ई मोतियाबिंद के महत्त्वपूर्ण भोज्य उपचार हैं। सूक्ष्म पोषक तत्वों से समृद्ध आहारों में कद्दू, गाजर, रतालू, टमाटर, मेवे, पालक, मछली और जैतून का तेल आदि आते हैं।