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एनीमिया क्या है? लक्षण, परिक्षण, बचाव एवं इलाज – Anemia in Hindi

Anemia in Hindi
 

   एनीमिया (Anemia in Hindi)  का अर्थ है, शरीर में खून की कमी। हमारे शरीर में हिमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है जो शरीर में खून की मात्रा बताता है। पुरुषों में इसकी मात्रा 12 से 16 प्रतिशत तथा महिलाओं में 11 से 14 के बीच होना चाहिए।

हीमोग्लोबिन हमारे लाल  रक्तकण मे होता है जो फेफड़े से ऑक्सीज़न युक्त रक्त को हमारे शरीर के विविध अंगो तक पहोचाने मे मदद करता है और कार्बन डाइ ऑक्साइड युक्त रक्त को वापस फेफड़े तक पहोंचाते है

यह तब होता है, जब शरीर के रक्त में लाल कणों या कोशिकाओं के नष्ट होने की दर, उनके निर्माण की दर से अधिक होती है।

 बढ़ते हुए बच्चो मे और रजोनिवृत्ति के बीच की आयु में एनीमिया सबसे अधिक होता है।

भारत जैसे विकास शील देशो में 80 प्रतिशत से अधिक गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं।

 गर्भवती महिलाओं को बढ़ते शिशु के लिए भी रक्त का निर्माण करना पड़ता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को एनीमिया होने की संभावना आम होती है।

 एनीमिया एक आम बीमारी है फिर भी यह एक गंभीर बीमारी है। इसके कारण महिलाओं को अन्य बीमारियां होने की संभावना और बढ़ जाती है।

एनीमिया से पीड़ित महिलाओं की प्रसव के दौरान मृत्यु की संभावना सबसे अधिक होती है।

हीमोग्लोबिन के अणु में अनचाहे परिवर्तन आने से भी अनिमिया के लक्षण प्रकट होते हैं। हीमोग्लोबिन पूरे शरीर मे ऑक्सीजन को प्रवाहित करता है और इसकी संख्या मे कमी आने से शरीर मे ऑक्सीजन की आपूर्ति मे भी कमी आती है जिसके कारण व्यक्ति थकान और कमजोरी महसूस कर सकता है।

 

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 एनीमिया के प्रकार – Types of Anemia in Hindi

एनीमिया के निम्नलिखित प्रकार होते हैं:

आयरन की कमी के कारण एनीमिया: – Iron Deficiency Anemia in Hindi

यह एक  एनीमिया का सामान्य प्रकार है जो आमतौर पर तब होता है जब बहुत
 समय से मासिक धर्म के कारण खून की अत्यधिक कमी हो रही होती है। गर्भावस्था में भ्रूण (गर्भ) के विकास और, बच्चो में बचपन और किशोरावस्था
 में विकास के लिए आयरन की ज़्यादा ज़रुरत के कारण भी आयरन की कमी के कारण एनीमिया हो सकता है।

अप्लास्टिक एनीमिया: – Aplastic Anemia in Hindi 

अप्लास्टिक (Aplastic) एनीमिया रक्त का एक विकार है जिस कारण शरीर की हड्डियों की अस्थि मज्जा पर्याप्त
 रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता है। इस कारण स्वास्थ्य सम्बंधित कई समस्याएं जैसे एरिथमियास (Arrhythmias; असामान्य दिल की धड़कन),
 हृदय के आकार में वृद्धि, दिल की विफलता, सक्रमण और रक्तस्त्राव हो सकता है। यह अचानक या धीरे-धीरे विकसित होता है और समय के साथ गंभीर हो जाता है,
 जब तक कि इसका कोई इलाज नहीं किया जाता।

 

हेमोलिटिक एनीमिया: – Heamolytic Anemia in Hindi

हेमोलिटिक (Haemolytic) एनीमिया तब होता है जब सामान्य जीवन काल के समाप्त होने से पहले ही
लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं या रक्तधारा में नहीं होती हैं। कई बिमारियों, स्तिथियों और कारकों के कारण शरीर लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है।
हेमोलिटिक (Haemolytic) एनीमिया से कई गंभीर स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याएं जैसे थकान, दर्द, एरिथमियास (Arrhythmias; असामान्य दिल की धड़कन),
हृदय के आकार में वृद्धि, दिल की विफलता हो सकती हैं।

थेलसेमिआ – Thalassaemias in Hindi 

थेलसेमिआ एक अनुवांशिक रक्त विकार है जिस कारण शरीर कम लाल रक्त कोशिकाएं और हीमोग्लोबिन  बनाता है।

थेलसेमिआ  के प्रमुख प्रकार हैं:

  • अल्फा थेलसेमिआ और
  • बीटा थेलसेमिआ। 

थेलसेमिआ पुरुषों और महिलाओं, दोनों में होता है। थेलसेमिआ के बारे मे हम आगे लेख बनाएँगे ।

सिकल सेल एनीमिया  – Sickle Cell Anaemia in Hindi

सिकल सेल एनीमिया  एक गंभीर बीमारी है जिसमें शरीर दरांती (सिकल) के
 आकृति जैसी लाल रक्त कोशिकाएं बनाता है। सामान्य लाल रक्त कोशिकाएं की आकृति डिस्क (Disk) जैसी होती है जिस कारण वह रक्त वाहिकाओं के ज़रिये आसानी से उत्तीर्ण होता है।
 लेकिन असामान्य आकार के लाल रक्त कणों के कारण छोटी रक्त वाहिनियों मे से उसका परिवहन कठिन हो जाता है । जिससे रक्त की आपूर्ति के कारण एनीमिया के लक्षण दिखाय देते है ।
सिकल सेल एनीमिया मलेरिया जैसी बीमारी के बार बार होने के कारण हमारे शरीर के प्रतीकार के कारण भी हो सकता है

 

परनिशियस एनीमिया: – Perniciuos Anemia in Hindi

परनिशियस एनीमिया में शरीर पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता है क्योंकि शरीर में पर्याप्त
विटामिन B12 (भोजन में पाया जाने वाला पोषक तत्व) नहीं होता है। जिन लोगों को परनिशियस  एनीमिया होता है वह शरीर में एक प्रकार के प्रोटीन
 की कमी के कारण पर्याप्त विटामिन B12 का अवशोषण नहीं कर पाते हैं। विटामिन B12 की कमी कई ओर स्तिथियों और कारकों के कारण भी हो सकती है।

फेंकोनाइ एनीमिया – Fancoi Anemia in Hindi

यह एक अनुवांशिक रक्त विकार है जिस कारण अस्थि मज्जा की विफलता हो सकती है। ऍफ़ए (FA),
अप्लास्टिक (Aplastic) एनीमिया का एक प्रकार है जो अस्थि मज्जा को नई रक्त कोशिकाएं नहीं बनाने देता है। FA के कारण अस्थि मज्जा कई
 असामान्य रक्त कोशिकाएं बनाता है। इस कारण लेउकीमिआ  (Leukemia) जैसी गंभीर बीमारियां भी  हो सकती हैं।

 

एनीमिया के लक्षण – Symptoms of Anemia in Hindi

एनीमिया के लक्षण आपको हुए एनीमिया के प्रकार पर निर्भर करेंगे।

एनीमिया के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

 

  • थकान
  • कमज़ोरी
  • त्वचा का फीका  होना
  • दिल की धड़कन का असामान्य होना
  • सांस लेने में तकलीफ
  • चक्कर आना
  • सीने में दर्द
  • हाथों और पैरों का ठंडा होना या दर्द होना
  • सिरदर्द

शुरुआत में एनीमिया के लक्षण नज़रअंदाज़ हो जाते हैं लेकिन जैसे-जैसे एनीमिया गंभीर होने लगता है, उसके लक्षण भी गंभीर हो जाते हैं।

एनीमिया के कारण – Causes of Anemia in Hindi

एनीमिया के बहोत सारे प्रकार होते हैं, लेकिन यहा मुख्य कारणो के हिसाब से 4  क्षेत्रों में बांटेंगे :

1 रक्त की कमी के कारण एनीमिया

लाल रक्त कोशिकाओं की कमी रक्तस्त्राव के कारण हो सकती है, जो अक्सर धीरे-धीरे समय के साथ हो सकता है, और नज़रन्दाज़ हो सकता है। इस प्रकार का गंभीर रक्तस्त्राव निम्नलिखित कारणों की वजह से हो सकता है:

जठरांत्र सम्बंधित समस्याएं जैसे अलसर, बवासीर, जठरशोथ (पेट की सूजन), और कैंसर
दर्द शामक दवाई  जैसे एस्पिरिन (Aspirin) और इबूप्रोफेन (Ibuprofen) का इस्तेमाल करने से अलसर और जठरशोथ हो सकता है।
महिलाओं में मासिक धर्म और प्रसव, ख़ास तौर से तब जब मासिक धर्म में अत्यधिक खून बह रहा हो और कई बार गर्भावस्था हुई हो।

2 क्षति ग्रस्त  लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन के कारण एनीमिया

इस प्रकार के एनीमिया में रक्त कोशिकाओं का उत्पादन कम होता है या रक्त कोशिकाएं ढंग से काम नहीं कर पाती । विटामिन और खनिज की कमी और
 असामान्य लाल रक्त कोशिकाओं के कारण लाल रक्त कोशिकाएं क्षति ग्रस्त या कम होती हैं। इन स्तिथियों से सम्बंधित एनीमिया इस प्रकार हैं:

सिकल (Sickle) सेल एनीमिया
आयरन की कमी के कारण एनीमिया
विटामिन की कमी
अस्थि मज्जा और स्टेम सेल में समस्याएं
अन्य स्वास्थ सम्बंधित समस्याएं
अस्थि  मज्जा और स्टेम सेल में समस्याएं:

अस्थि  मज्जा और स्टेम सेल में समस्याओं के कारण शरीर पर्याप्त लाल कोशिकाओं का उत्पादन नहीं कर पाता है। अस्थि मज्जा में पाए जाने वाले कुछ स्टेम सेल
लाला रक्त कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाते हैं। यदि स्टेम सेल कम या क्षति ग्रस्त हों या उनकी जगह कैंसर की मेटास्टैटिक (Metastatic) कोशिकाएं हों तो एनीमिया हो
सकता है। अस्थि  मज्जा या स्टेम सेल में समस्याओं के कारण होने वाली समस्याएं या बीमारियाँ इस प्रकार हैं: 

अप्लास्टिक (Aplastic) एनीमिया
थैलेसीमिआ  (Thalassemia)
लेड (Lead) के कारण अस्थि मज्जा में विषाक्तता

3 हॉर्मोन की कमी के कारण लाल रक्त कोशिकाएं का कम उत्पादन

इस समस्या के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

किडनी  की बीमारी
हाइपोथायरॉइडिज़्म (Hypothyroidism)
लंबे समय से चल रही बीमारियाँ जैसे

4 लाल रक्त कोशिकाओं के नष्ट होने से निम्नलिखित एनीमिया हो सकते हैं

जब लाल रक्त कोशिकाएं कमज़ोर होती हैं तब वह परिसंचरण प्रणाली का दबाव नहीं सेह पाती हैं। इस कारण वह हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो सकती हैं जिस वजह से हेमोलिटिक (Hemolytic)
 एनीमिया हो सकता है। हेमोलिटिक (Hemolytic) एनीमिया जन्म से भी हो सकता है। कभी-कभी हेमोलिटिक (Hemolytic) एनीमिया होने का कोई कारण नहीं होता है।
हेमोलिटिक (Hemolytic) एनीमिया के ज्ञात कारण इस प्रकार हैं:

अनुवांशिक बीमारियाँ जैसे सिकल (Sickle) सेल एनीमिया और थैलेसीमिआ  (Thalassemia)।
संक्रमण, कुछ दवाइयों, साँप या मकड़ी के ज़हर, और कुछ खाध पदार्थ।
लिवर और किडनी की बीमारी के कारण विषाक्तता।
प्रतिरक्षा प्रणाली की असामान्य गतिविधि (नवजान शिशु में हेमोलिटिक (Hemolytic) बीमारी जो गर्भवती महिला के भ्रूण (गर्भ ) में होती है)।
 हार्ट वॉल्व में समस्या, ट्यूमर, जलने के कारण समस्या, रसायनों के संपर्क में आने से समस्याएं, उच्च रक्तचाप, रक्त के थक्कों का विकार।
कुछ दुर्लभ स्तिथियों में, बढ़ा हुआ स्प्लीन लाल रक्त कोशिकाओं को रोक कर उन्हें नष्ट कर देता है।

एनीमिया का इलाज -(मात्र जानकारी हेतु ) – Treatment of Anemia in Hindi

आपको हुए एनीमिया का उपचार आपको हुए एनीमिया के प्रकार पर निर्भर करेगा:

आयरन की कमी के कारण हुए एनीमिया:
 एनीमिया के इस प्रकार का उपचार आप आयरन युक्त आहार लेकर और अपनी आहार शैली में कुछ बदलाव लाकर कर सकते हैं। यदि आयरन की कमी के कारण हुए एनीमिया मासिक धर्म की वजह से ना हुआ हो और इसका कारण कोई रक्तस्त्राव हो तो सर्जरी भी करनी पड़ सकती है।

विटामिन की कमी के कारण हुआ एनीमिया: विटामिन B12 और फोलिक एसिड की कमी के कारण हुए एनीमिया का उपचार आहार में बदलाव लाकर, विटामिन B12 और फोलिक एसिडयुक्त आहार का सेवन करके किया जा सकता है। यदि आपके पाचन तंत्र को विटामिन B12 का अवशोषण करने में समस्या होती हो तो आपको विटामिन B12 के इंजेक्शन लगवाने की आवश्यकता हो सकती है। आपकी स्तिथि के अनुसार आपको इंजेक्शन 1 महीने या ज़िन्दगी भर लगवाना पड़ सकता है।

लंबे समय से चल रही बीमारी के कारण हुआ एनीमिया: इस प्रकार के एनीमिया का कोई उपचार नहीं होता है। डॉक्टर आपको चल रही बीमारी का उपचार करने की कोशिश करते रहेंगे। यदि आपको हो रहे लक्षण गंभीर हो जाए तो आपका रक्त-आधान किया जाएगा या आपको कृत्रिम एरिथ्रोप्रोटीन (Synthetic Erythropoietin; एक प्रकार का प्रोटीन जिसका उत्पादन आपकी किडनी में होता है) के इंजेक्शन दिए जाएंगे जिससे लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाया जा सके और आपको हो रहे लक्षणों का उपचार किया जा सके।
अप्लास्टिक (Aplastic) एनीमिया: अप्लास्टिक (Aplastic) एनीमिया के उपचार के लिए रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं के स्तर को बढ़ाने के लिए रक्त-आधान करने की आवश्यकता हो सकती है। यदि आपकी अस्थि मज्जा में कोई समस्या हो जिस कारण वह स्वस्थ रक्त कोशिकाएं ना बना पा रहा हो तो आपको अस्थि मज्जा का प्रत्यारोपण करने की भी आवश्यकता हो सकती है।

अस्थि मज्जा से सम्बंधित एनीमिया: ऐसे एनीमिया के उपचार के लिए आपको दवाइयों, कीमोथेरपी, या अस्थि मज्जा का प्रत्यारोपण करने की आवश्यकता हो सकती है।
हेमोलिटिक (Hemolytic) एनीमिया: हेमोलिटिक (Hemolytic) एनीमिया के उपचार के लिए जिन दवाइयों के कारण हेमोलिटिक (Hemolytic) एनीमिया हो सकता है, प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर हो सकती है या जो दवाइयाँ आपकी लाल रक्त कोशिकाओं को हानि पहुँचा सकती हों उनका सेवन ना करें और हेमोलिटिक (Hemolytic) एनीमिया से सम्बंधित संक्रमणों का इलाज करवाएं।
आपको हुए एनीमिया की गंभीरता के अनुसार, रक्त-आधान, प्लास्माफेरेसिस (Plasmapheresis; रक्त फ़िल्टर करने की एक प्रक्रिया) या स्प्लीन का निष्कासन करना आवश्यक हो सकता है।
सिकल (Sickle) सेल एनीमिया: इस प्रकार के एनीमिया के उपचार में ऑक्सीजन, दर्द निवारक दवाइयाँ, दर्द और जटिलताओं को कम करने के लिए मौखिक और नसों के माध्यम से दी जाने वाली दवाइयाँ की आवश्यकता हो सकती है। डॉक्टर आपको रक्त-आधान , फोलिक एसिड युक्त भोजन और एंटीबायोटिक लेने की सलाह दे सकते हैं। कुछ स्तिथियों में अस्थि मज्जा का प्रत्यारोपण भी प्रभावी हो सकता है। कैंसर की कुछ दवाइयाँ जैसे हाइडरिआ (Hydrea) सिकल (Sickle) सेल एनीमिया में उपयोगी हो सकती है।
थैलेसीमिआ (Thalassemia): इस प्रकार के एनीमिया का उपचार रक्त-आधान , फोलिक एसिड युक्त भोजन, दवाइयों, स्प्लीन के निष्कासन और अस्थि मज्जा के प्रत्यारोपण से किया जा सकता है।

नोंध:
अगर आपको एनीमिया हो तो कृपया डॉक्टर से सलाह किए बिना कोई दवा ना लें और स्वयं इलाज न करें।

एनीमिया का परीक्षण – Diagnosis of Anemia in Hindi

एनीमिया का निदान करने के लिए डॉक्टर आपको आपके चिकित्सक और पारिवारिक इतिहास के बारे में पूछेंगे, आपका शारीरिक टेस्ट करेंगे और आपको निम्नलिखित टेस्ट करवाने को कहेंगे:

पूर्ण रक्त गणना का टेस्ट या कम्प्लीट ब्लड टेस्ट (Complete blood count (CBC))
आपके रक्त के नमूने में कोशिकाओं की संख्या मापता है। एनीमिया का निदान करने के लिए डॉक्टर आपके रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं (हेमाटोक्रिट; Hematocrit) और हीमोग्लोबिन के स्तर देखेंगे।

नोंध:
(हेमाटोक्रिट; Hematocrit) का स्तर पुरुषों में 40-52 प्रतिशत होते हैं और महलाओं में 35-47 प्रतिशत होता है। पुरुषों में हीमोग्लोबिन का स्तर 14-18 ग्राम/ डेसिलीटर होता है और महिलाओं में 12-16 ग्राम/ डेसिलिटर होता है।
आपके लाल रक्त कोशिकाओं के रंग, आकर और आकृति जानने के लिए भी एक टेस्ट किया जाएगा।
कभी-कभी एनीमिया का निदान करने के लिए आपकी अस्थि मज्जा के नमूने की भी ज़रुरत पड़ सकती है।
यदि आपके एनीमिया का निदान हो जाए तो एनीमिया होने के कारण को जानने के लिए भी टेस्ट किए जाएंगे।

एनीमिया के जोखिम – 

इन कारको के कारण आपको एनीमिया होने का​ जोखिम हो सकता है:

यदि आप स्वस्थ आहार ना ले रहे हों, आपकी आहार में आयरन, विटामिन B12 और फोलेट निरंतर कम हो तो आपको एनीमिया होने का जोखिम हो सकता है।

आंतो में विकार: यदि आपके आंतो में विकार जैसे क्रोहन की बीमारी (Crohn’s Disease) या सीलिएक की बीमारी (Celiac’s Disease) हो जिस कारण आप पोषक तत्वों का अवशोषण ना कर पा रहें हों तो आपको एनीमिया होने का जोखिम हो सकता है।
यदि आपको मासिक धर्म होता हो तो आपको एनीमिया होने का जोखिम उन महिलाओं जो रजोनिवृत्ति से गुज़र चुकी हैं या पुरुषों से अधिक होता है क्योंकि मासिक धर्म में रक्त स्त्राव के कारण लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो सकती है।

गर्भावस्था: यदि आप गर्भवती हों और फोलिक एसिड के साथ मल्टीविटामिन ना लेती हों तो आपको एनीमिया होने का जोखिम है।
यदि आपको लंबे समय से कोई बीमारी जैसे कैंसर, गुर्दों की विफलता या कोई अन्य बीमारी हो तो आपको एनीमिया हो सकता है क्योंकि इन बिमारियों के कारण लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो सकती है। किसी अलसर के कारण अगर शरीर में लंबे समय तक खून या आयरन की कमी हो रही हो तो आपको एनीमिया हो सकता है।

यदि आपके परिवार में एनीमिया होने का इतिहास हो तो आपको अनुवंशित एनीमिया जैसे सिकल (Sickle) सेल एनीमिया  हो सकता है।

यदि आपके परिवार में किसी संक्रमण या रक्त से सम्बंधित बिमारियों का इतिहास हो; आप कुछ ऐसी दवाइयों का उपयोग कर रहे हों जो रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को प्रभावित कर सकती हों; शराब पीते हों; या कुछ ज़हरीले रसायनों के संपर्क में हों तो आपको एनीमिया हो सकता है।

जिन लोगों की उम्र 65 से ज़्यादा हो उन्हें एनीमिया होने का जोखिम होता है।

 एनीमिया से जुडी जटिलता – 

यदि एनीमिया का उपचार ना किया जाए तो निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:

अतियाधिक थकान: यदि आपका एनीमिया गंभीर हो जाए तो आप दैनंदिन कार्य करने मे बहोत थक जायेंगे।

गर्भावस्था से सम्बंधित जटिलताएं: फोलेट की कमी के कारण हुए एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था में जटिलताएं हो सकती हैं जैसे शिशु का समय से पहले जन्म, कम वजन वाला शिशु।

हृदय से सम्बंधित समस्याएं: एनीमिया के कारण एरिथमिया (Arrhythmia: दिल की असामान्य दर) हो सकता है क्योंकि एनीमिया में हृदय को शरीर में ऑक्सीजन की कमी पूर्ति करने के लिए ज़्यादा रक्त पंप करना पड़ सकता है जिस कारण आपको हदय की विफलता हो सकती है या आपके हृदय का आकर बढ़ा हो सकता है।
मृत्यु: कुछ अनुवंशित एनीमिया जैसे सिकल (Sickle) सेल एनीमिया और थैलेसेमीया गंभीर होते हैं और इनसे जानलेवा जटिलताएं हो सकती हैं। कम समय में रक्त की अतियाधिक कमी के कारण मृत्यु भी हो सकती है।

एनीमिया से बचाव – Prevention of Anemia in Hindi

एनीमिया के कुछ प्रकारों जैसे सिकल (Sickle) सेल एनीमिया (जो एक अनुवांशिक बीमारी है) से बचा नहीं जा सकता है।

खून की कमी के कारण होने वाले एनीमिया से बचना भी मुश्किल है क्योंकि दुर्घटनाएं और चोटें अप्रत्याशित हैं। यदि आप किसी ऐसी स्तिथि में हों जब आप अधिक खून बह रहा हो तो जब तक आपको कोई चिकित्सक मदद ना मिलें तब तक आपको अपने रक्तस्त्राव को रोकने या कम करने की कोशिश करें।

अन्य प्रकार के एनीमिया से बचने के लिए:

आयरन में युक्त स्वस्थ आहार का सेवन करें।
चाय और कॉफ़ी का सेवन कम करें क्योंकि इनके कारण आपके शरीर को आयरन का अवशोषण करने में परेशानी हो सकती है।
विटामिन सी (C) का सेवन ज़्यादा करें क्योंकि वह आयरन का अवशोषण करने में मदद करता है।

गर्भवती महिलाओं एवं किशोरी लड़कियों को नियमित रूप से 100 दिन तक लौह तत्व व फॉलिक एसिड की 1 गोली रोज रात को खाने खाने के बाद लेनी चाहिए।

 जल्दी-जल्दी गर्भधारण से बचना चाहिए।

 

एनीमिया में क्या खाना चाहिए? – Diet for Anemia in Hindi

एनीमिया के दौरान आपको निम्नलिखित चीज़े पर विशेष ध्यान देना चाहिए:

पालक: पालक में कैल्शियम, विटामिन A, विटामिन B9, विटामिन E, विटामिन C; आयरन, फाइबर, बीटा कैरोटीन होता है जो शरीर को स्वस्थ रखता है।

सोयाबीन: सोयाबीन आयरन और प्रोटीन से युक्त होता है ।

चुकंदर: चुकंदर आयरन से भरपूर होता है। यह आपके लाल रक्त कोशिकाओं को ठीक और पुनर्सक्रिय करता है। जब आपकी लाल रक्त कोशिकाएं पुनर्सक्रिय हो जाएं तो आपके शरीर के सभी अंगो को ऑक्सीजन मिलेगा और चुकंदर का सेवन करने से एनीमिया का उपचार करने में मदद मिलेगी। आप चकुंदर को अन्य सब्ज़ियों के साथ ले सकते हैं या आप इसका सेवन जूस के रूप में भी कर सकते हैं। चकुंदर का जूस रोज़ सुबह के नाश्ते के साथ लेने से आपके लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में जल्दी से सुधार आ सकता है।

मूंगफली का मक्खन: मूंगफली का मक्खन आयरन युक्त होती है। यदि आपको मूंगफली का मक्खन पसंद ना हो तो आप भुनी हुई मूंगफलियां भी खा सकते हैं।

टमाटर: टमाटर में विटामिन C और लाइकोपीन (Lycopene) होता है जो आयरन का अवशोषण करने में आपको मदद करते हैं।
अंडे: अंडों में प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट्स होते है जो शरीर को विटामिन की कमी पूरा करने में मदद करते हैं।

अनार: अनार विटामिन C और आयरन युक्त होते हैं। यह शरीर के रक्त प्रवाह और एनीमिया में लक्षणों जैसे थकान, चक्कर आने मे आपके लिए फायदेमंद रहेगा।

साबुत अनाज की रोटी: साबुत अनाज की रोटी आयरन  युक्त होती है। यह आयरन की कमी को पूरा करने के लिए प्रभावी होता है।
बीज और सूखे मेवे​: बीज और सूखे मेवे जैसे पिस्ता आयरनयुक्त होते हैं।
सीफ़ूड (Seafood): सीफ़ूड जैसे मछली आयरन से युक्त होती है और एनीमिया में उपयोगी होती है।
शहद: शहद मे भी आयरन होता है और स्वास्थ के लिए अच्छा भी होता है। इसके अलावा शहद में कॉपर (Copper) और मैग्नीशियम भी होता है जो शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। शहद को नीम्बू पानी के साथ पीना एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए लाभदायक होता है।
सेब: सेब आयरन और विटामिन C युक्त होते हैं और एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए लाभदायक होता है।
खजूर: खजूर आयरन युक्त होते हैं और एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए लाभदायक होता है। खजूर को अगर दूध के साथ मिला दिया जाये तो उनके फायदे और बढ़ जाते है


एनीमिया में परहेज –

एनीमिया से बचने के लिए आपको निम्नलिखित परहेज़ करने चाहिए:

फाइटेट (Phytate) युक्त खाद्य पदार्थों: फाइटेट (Phytate) युक्त खाद्य पदार्थों जैसे फलियों और कुछ प्रकार के साबुत अनाज का सेवन करने से रक्तधारा में आयरन का अवशोषण करना मुश्किल हो सकता है।

टैनिन (Tanin) युक्त खाद्य पदार्थों: टैनिन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कॉफ़ी, ग्रीन टी, काली चाय और अंगूर भी शरीर द्वारा आयरन के अवशोषण में समस्याएं ला सकते हैं।
ग्लूटेन (Gluten) युक्त खाद्य पदार्थों: एनीमिया से पीड़ित कुछ लोगों को ग्लूटेन खाद्य पदार्थों जैसे पास्ता, जौ, गेहूं, अनाज, और जई (ओट्स) के कारण समस्याएं होती हैं। यदि आपको ग्लूटेन से किसी भी प्रकार की असहिष्णुता है तो यह आपके पाचन तंत्र में समस्याएं उत्पन्न कर सकता है जैसे आपके आंतो को फोलिक एसिड और आयरन का अवशोषण करने में समस्याएं हो सकती हैं।
 कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों: कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ जैसे दूध, दही, और पनीर शरीर के आयरन का अवशोषण करने के प्रक्रिया में समस्याएं ला सकता है।
शराब: जिन लोगों को फोलेट की कमी के कारण एनीमिया हुआ हो उन्हें शराब के सेवन को पूरी तरह बंद या बहुत कम करना चाहिए क्योंकि यह शरीर को फोलेट का अवशोषण नहीं करने देता है।

 

2 thoughts on “एनीमिया क्या है? लक्षण, परिक्षण, बचाव एवं इलाज – Anemia in Hindi”

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